KIDS AT RISK (covid-19 crisis)
खतरे में हमारे देश के बच्चे -
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They need help |
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Some of our children eating their mid-day meal |
COVID-19 ने वैसे तो ६ लाख लोगों को मारा है, जिसमे बच्चे बहुत कम हैं| ये बहुत अच्छी खबर है, लेकिन"COVID"जो प्राइमरी प्रॉब्लम ने सेकेंडरी प्रॉब्लम को जन्म दिया है, जैसे-गरीबी,माता-पिता की नौकरी चली जाना, बीमारी का फैलना, रेगुलर बिमारियों के टीके नही मिलना, अस्पतालों डिस्पेंसरियों का बंद हो जाना उसकी वजह से जितने लोग कोविड से मरे हैं, उससे कहीं ज्यादा बच्चे नॉनकोविड से मरने वाले हैं, ये दुनियाभर के टॉप मेडिसिन एक्सपर्ट का कहना है, कि आने वाले समय में Poverty,Hunger,Disease,Lack of vaccination for other diseases और Cleanical Services के गायब हो जाने की वजह से बहुत सारे बच्चे खतरे में पड़ गए हैं, दोस्तों ये दिल तोड़ देने वाली न्यूज़ है, लेकिन ये आपके-मेरे चारो तरफ हो रहा है, हम तो खैर Privileged लोग हैं, कि ये सब सोचना नहीं पड़ता लेकिन जो थोड़ा भी कम Priviledged है, उन्होंने अपने बच्चों को काम पे लगा दिया है, छोटे-छोटे बच्चे काम कर रहे हैं, यहाँ-वहाँ पैसा कमाने के लिए, क्यूंकि माँ-बाप की नौकरी चली गयी,वो भी कोशिश कर रहे हैं|So the Government really-really needs to take care of Childreen.आज मैंने खबर पढ़ी थी बिहार की, बच्चों की लम्बी-चौड़ी तस्वीर थी, सब अब मेटल स्क्रैप के धंधे में लग गए क्यूंकि स्कूल बंद तो मिड डे मील बंद,मिड डे मील की वजह से लोग जाते थे, जो की बहुत अच्छी बात थी|
इससे हम जो Global Hunger Index में हम जहां १०२ नंबर पर थे, अब आप सोच लीजिये हम कहाँ पहुँच जायेंगे रैंकिंग में, और २०३० के Sustainable Development Goal का क्या होगा| सरकार से यही दरख़्वास्त है की इन गरीब बच्चों का मिड डे मील पुनः शुरू करवादें|
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https://timesofindia.indiatimes.com/india/how-polio-measles-diseases-could-do-more-harm-to-children-than-covid/articleshow/76807574.cms
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